गर्भवती महिलाओं के लिए जोखिम भरा है इन मच्छरों का काटना, जानें क्या कहता है विज्ञान
सेहतराग टीम
बरसात के दिनों में सेहतमंद रहना सबसे बड़ी चुनौती है। इस मौसम में मच्छरों के काटने से कई तरह की जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दुनियाभर में मच्छरों की करीब 3 हज़ार 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें से ज़्यादातर नस्लें इसानों को ज़रा भी परेशान नहीं करतीं। ये वो मच्छर हैं जो सिर्फ पौधों और फलों के रस पर ज़िंदा रहते हैं।
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मच्छरों की सिर्फ छह फ़ीसद प्रजातियों की मादाएं अपने अंडों के विकास के लिए इंसानों का खून पीती हैं। इंसानों का खून पीने वाली इन मादा मच्छरों में से भी आधी ही अपने अंदर बीमारियों के वायरस लिए रहती हैं। इसका मतलब कुल मिलाकर मच्छरों की सिर्फ 100 नस्लें ही ऐसी हैं, जो इंसानों के लिए जानलेवा साबित होती हैं।
दुनिया की आधी आबादी पर मच्छरों से होने वाली बीमारियों का जानलेवा खतरा मंडराता रहता है। इंसान की तमाम मुश्किलों में कई के ज़िम्मेदार ये मच्छर होते हैं।
कई मच्छरों से ज़ीका वायरस भी फैलता है। पहले माना जाता था कि ज़ीका वायरस से सिर्फ हल्का बुखार और बदन पर छाले ही पड़ते हैं। लेकिन वैज्ञानिक अब परेशान हैं क्योंकि ज़ीका वायरस, गर्भ में पल रहे बच्चों को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
इसका सीधा संबंध माइक्रोसेफेली नाम की बीमारी से भी पाया गया है। ब्राजील में इसके शिकार कई बच्चों की पैदाइश हुई है। माइक्रोसेफेली की वजह से बच्चों का दिमाग सही तरीके से विकसित नहीं हो पाता और वह छोटे सिर के साथ पैदा होते हैं।
दुनिया के लगभग सभी देशों को मच्छरों के ख़तरों से सावधान करने के लिए बरसों से कई अभियान चल रहे हैं। लोगों को समझाया जाता है कि वो मच्छरदानी और बचाव के दूसरे तरीकों को अपनाएं ताकि वह मच्छर के काटने से होने वाली सभी बीमारियों से दूर रह सकें।
हालांकि, कई लोगों के दिमाग में एक सवाल यह भी उठता है कि आज विज्ञान ने इतनी तरक़्क़ी कर ली है, तो क्या फिर भी बीमारी फैलाने वाले इन मच्छरों का खात्मा मुमकिन नहीं है? कई वैज्ञानिक इसका समर्थन करते हैं।
उनका मानना है कि तीस तरह के मच्छरों का सर्वनाश करके हम दस लाख इंसानों की जान बचा सकते हैं। इससे मच्छरों की सिर्फ एक फीसद नस्ल खत्म हो सकेगी। लेकिन, इंसानों का काफी भला हो पाएगा।
(खबर साभार)
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